नज़्म कुछ नाराज़ है मुज़से,
कुछ पूंछू, क्यों नाराज़ हो मुझसे ?
वो बस आँखे दिखा कर, बोलती कुछ नहीं
में समज़ जाता हु की क्या शिकायत है उसकी
पर बस कुछ दुश्वारियां है की अल्फ़ाज़ अब उतरते नहीं कागज़ों पर !!
कुछ पूंछू, क्यों नाराज़ हो मुझसे ?
वो बस आँखे दिखा कर, बोलती कुछ नहीं
में समज़ जाता हु की क्या शिकायत है उसकी
पर बस कुछ दुश्वारियां है की अल्फ़ाज़ अब उतरते नहीं कागज़ों पर !!